रात चाँद तो वही था.......
बस जमीन अपनी नहीं थी
सोच अपनी थी ...
पर बिस्तर अपना नहीं था .
जी किया चाँद को आगोश मै भर लूं
शायद ............
बादलों का आना जाना ,
रिमझिम फुहारों का बरसना ....
सब कुछ तो वही था
बस आसमान अपना नहीं था !
जी किया फुहारों को मुट्ठी मै भर लूं.......
शायद ........
रात चाँद तो वही था
बस .............
बस जमीन अपनी नहीं थी
सोच अपनी थी ...
पर बिस्तर अपना नहीं था .
जी किया चाँद को आगोश मै भर लूं
शायद ............
बादलों का आना जाना ,
रिमझिम फुहारों का बरसना ....
सब कुछ तो वही था
बस आसमान अपना नहीं था !
जी किया फुहारों को मुट्ठी मै भर लूं.......
शायद ........
रात चाँद तो वही था
बस .............
रात चाँद तो वही था.......
ReplyDeleteबस जमीन अपनी नहीं थी
सब कुछ तो वही था
बस आसमान अपना नहीं था !
Beautiful imagery
well expressed dear aapke dil ke udgaar .
enjoy ..jaldee hee aasmaan aur zameen dono aapke honge :)God Bless