Friday, November 30, 2012

टूटा हुआ लम्हा

वक्त की शाख से टूटा हुआ एक लम्हा ,
यूँ आके  मिला , आज  मुझसे !


कॉफ़ी की खुशबू से महकते कॉफ़ी घर की  ,
खिड़की से लगी मेज पे  रखे प्याले से ,
उठते धुऐं और खुशबू की तरह 
यूँ आके आज मिला मुझसे ...

मयखाने के गिलासों से उठती गंध ,
मुहँ मे फैली कडुवाहट ,
गले से उतरती गर्माहट की तरह ,
यूँ आके मिला आज मुझसे !!!

सर्दियों की ठिठुरती शाम ,
सिगड़ियों से निकलते धुऐं ,
और उस पे  सिकती गर्म रोटियों की
 खुशबू की तरह
यूँ आके आज मिला मुझसे !!!

वक्त की शाख से टूटा एक लम्हा ...
यूँ आके आज मिला मुझसे !!!!1