वक्त की शाख से टूटा हुआ एक लम्हा ,
यूँ आके मिला , आज मुझसे !
कॉफ़ी की खुशबू से महकते कॉफ़ी घर की ,
खिड़की से लगी मेज पे रखे प्याले से ,
उठते धुऐं और खुशबू की तरह
यूँ आके आज मिला मुझसे ...
मयखाने के गिलासों से उठती गंध ,
मुहँ मे फैली कडुवाहट ,
गले से उतरती गर्माहट की तरह ,
यूँ आके मिला आज मुझसे !!!
सर्दियों की ठिठुरती शाम ,
सिगड़ियों से निकलते धुऐं ,
और उस पे सिकती गर्म रोटियों की
खुशबू की तरह
यूँ आके आज मिला मुझसे !!!
वक्त की शाख से टूटा एक लम्हा ...
यूँ आके आज मिला मुझसे !!!!1
यूँ आके मिला , आज मुझसे !
कॉफ़ी की खुशबू से महकते कॉफ़ी घर की ,
खिड़की से लगी मेज पे रखे प्याले से ,
उठते धुऐं और खुशबू की तरह
यूँ आके आज मिला मुझसे ...
मयखाने के गिलासों से उठती गंध ,
मुहँ मे फैली कडुवाहट ,
गले से उतरती गर्माहट की तरह ,
यूँ आके मिला आज मुझसे !!!
सर्दियों की ठिठुरती शाम ,
सिगड़ियों से निकलते धुऐं ,
और उस पे सिकती गर्म रोटियों की
खुशबू की तरह
यूँ आके आज मिला मुझसे !!!
वक्त की शाख से टूटा एक लम्हा ...
यूँ आके आज मिला मुझसे !!!!1