Tuesday, December 21, 2010

चाँद और मै

रात चाँद तो वही था.......
बस जमीन अपनी नहीं थी
सोच अपनी थी ...
 पर बिस्तर अपना नहीं था .

जी किया चाँद को आगोश मै भर लूं
शायद ............
बादलों  का आना जाना ,
रिमझिम फुहारों का बरसना ....
सब कुछ तो वही था
बस आसमान अपना नहीं था !
जी किया फुहारों को मुट्ठी मै भर लूं.......
शायद ........

रात चाँद तो वही था
बस .............

1 comment:

  1. रात चाँद तो वही था.......
    बस जमीन अपनी नहीं थी

    सब कुछ तो वही था
    बस आसमान अपना नहीं था !

    Beautiful imagery
    well expressed dear aapke dil ke udgaar .
    enjoy ..jaldee hee aasmaan aur zameen dono aapke honge :)God Bless

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