Wednesday, April 2, 2014

तेरे स्पर्श को तरसती रही
तेरी चाहत के लिए तड़पती  रही

इंतज़ार  !!!
 उम्र भर किया मैंने
तेरी ज़ुस्तज़ू
तेरी आरज़ू में।

पर अजनबी
क्या तुझे भी
है आरज़ू मेरी  ????