Thursday, August 13, 2015

खुली खिड़की से पेड़ों की शाखों पे
गिरती हुई बूंदों को निहारना
और ख्यालों  में जाने कितने पल जी जाना

Friday, June 5, 2015

मौत

अपना रंगीन कफ़न ओढे
खुद को सज़ा,
अपने  ही  कंधों पे  ढो 
जाने कितनी बार
 दफ़न करते है खुद को !
पर इस मौत,
 कोई ज़िक्र नहीं होता !
और ये सिलसिला भी
 खत्म नहीं होता  
सूरज  के साथ उग  आंतें 
हर रोज़ कुकुरमुत्तों की तरह 
नागफनी के ये कांटें 
रूह को लहू  लुहान करने के लिए 
लहू रिसता रहता है 
और किसी को नज़र  भी  नहीं आता 
घर की इस चार दिवारी में भी 
जाने कितनी मौतें होती हैं मित्र 
अफ़सोस !!!!!
 उनका कोई ज़िक्र ही नहीं होता !
क़त्ल  करते हैँ वो ,
 रिश्तों की दुहाई देने वाले 
जिनका रिश्तों से ,
 कोई वास्ता नहीं होता !

Wednesday, April 2, 2014

तेरे स्पर्श को तरसती रही
तेरी चाहत के लिए तड़पती  रही

इंतज़ार  !!!
 उम्र भर किया मैंने
तेरी ज़ुस्तज़ू
तेरी आरज़ू में।

पर अजनबी
क्या तुझे भी
है आरज़ू मेरी  ????

Saturday, March 1, 2014

सर्द सी एक रात

सर्द रातों कि ख़ामोशी  में
रात  के दूसरे -तीसरे पहर
सर्द बिस्तर की चादर पे
एक दूसरे से लिपट
रिश्ते कि गर्माहट
ढूंढते हुऐ ज़िस्म।  

कभी उलझे रिश्तों को
सुलझाने कि कश्म कश में
गर्म लिहाफ में ,
 दम तोड़ते  ज़िस्म।

कभी जिंदगी का ताना  बाना बुनते
गर्म अलाव के पास
क्या खोया , क्या पाया
सिर  धुनते ज़िस्म।

कभी मय के प्याले में
 खुशियां ढ़ूढ़ते ,कह- कहे
खोखली हंसी हँसते  ,मुखोटे चढ़ाए
थके थके से ज़िस्म।

कल मौसम बदल जाएगा।









Monday, February 24, 2014

ज़िंदगी


दरख्तों के शाखों पे
लटकी सी ज़िंदगी

अनजान से रिश्तों का
बोझ ढोती  ज़िंदगी।

चाय ,कॉफी के प्यालों में
ताज़गी ढूढ़ती  ज़िंदगी

मुखोटों के पीछे
भागती ज़िंदगी
मुखोटों के पीछे
 छुपती ज़िंदगी

कभी मय  के प्याले
सी कड़वी ज़िंदगी
रेत के समुन्दर सी
प्यासी ज़िंदगी
ऊफ्फ ये सड़कों पे दौड़ती
भागती ज़िंदगी

मेरे महबूब !!!
सब कुछ भुला
तेरी बाहों में , पनाहों में
खुद को समेटती सी ज़िंदगी

हर पल कतरा  कतरा
सांस लेतीं सी ज़िंदगी
उलझे धागों सी उलझी
ये ज़िंदगी
हर रात बिस्तर पे
दम तोड़ती ये ज़िंदगी।




Sunday, February 23, 2014

बस एक ख्याल …। 

जाने क्यों ये ख्याल,
मेरे सपनों कि मुंडेर पे आके बैठ जाते है 
सारा दिन कबूतर के मानिंद 
गुटर गूं गुटर गूं
तेरे साथ बीता… 
  वो, …… 
 हर एक पल !

मेरी साँसों में समां  गया  , 
तेरी  साँसों कि तरह !!!!

तेरी यादों का धुवाँ 
जज़्ब हो गया 
मेरे  ज़िस्म में .......
 जलते लोबान कि खुशबू कि तरह 

तेरी हथेलियों कि गर्माहट ,…
मेरी  रूह को !

दे गयी तपिश,,… 
क़तरा क़तरा  सुलगने के लिए !!!

प्रियतम मेरे 
तू छोड़ गया मुझे  !
  अकेला ,....... 
तेरे ही,
 ख्यालों को सजाने के लिए  !!!!!!