Monday, February 7, 2011

स्वागतहै ऋतुराज का !!!

कल बसंत पंचमी है .... गतिशीलता ,सरलता और नवजीवन  का पर्याय है बसंत !  बसंत का अर्थ है बहार  का मौसम....शिशिर (पतझर ) के बाद नवीनता और  जीवन की दस्तक लिए चला आता है बसंत !..धरती पीले रंग की ओढनी ओढ़ ..... रंग बिरंगी साड़ी पहन  ..... सोलह श्रींगार कर .....जीवन के लय पे थिरकती हुई सी दिखती है ......चारों और नव कोंपलें  अपना सिर बाहर निकाल मानो  अपने होने का अहसास कराती  है...... वो लाल -लाल अंगारों से दहकते टेसू के फूल , सेमल के फूल ...बिना पत्तों वाली शाखों  पे ...कुछ   धरती पे बिखरे .... आड़ू के गुलाबी से फूल , खुबानी और चेरी  के दुधिया फूल ...इनसे सजे बाग़ बगीचे, रास्ते..... पीले - पीले सरसों के फूलों से सजे खेत खलिहान ....वो  मंद -मंद बहती हुई   बसंती बयार  ......

जब हम बच्चे थे तो बसंत पंचमी  के दिन पीले रंग के वस्त्र  पहने जाते थे ... कुछ रुमाल , कुछ टोपियाँ  पीले रंग मे रंग दी जाती थी और बच्चों को पहना दी जाती थी ...बच्चो का मुंडन करना हो या विवाह के बंधन मे बंधना हो .. बसंत पंचमी का दिन !
पीला रंग चैतन्य का सूचक है ....जीवन को उल्लास , मादकता , तरुनाई , नवीनता के साथ जीना ही बसंती रंग मे रंगना है ......बसंत ऋतू को ऋतू राज भी कहा जाता है .. जीवन के सब रंगों मे से उल्लास , हर्ष का मौसम लेके चला आता है बसंत !!!! मिलन की मधुरिमा ... रंगों से भरा फाग  ले के चला आता है बसंत !! दिल खोल इसका स्वागत करे .....आओ ऋतू राज  !         आपका स्वागत है !!!!!     

2 comments:

  1. hello Meena ji. i liked your post. i want to publish this in my newspaper 'Navjanya'. since this time our theme is - Basant.
    plz mail me regarding the permission for your post at-
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    Thank you.

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