ये इश्क है या इबादत ?
ये तो खुदा ही जाने !
या रब्ब !!!
मेरा मीत .....
मेरे रग -रग मै समाता है
मेरी कल्पनाओ मै ...
उसका !
अक्स उभेर आता है ..
उसके होने से
पूरी हो जाती है हर कमी .....
अपने अधूरेपन का अहसास ही नहीं रहता !
इश्क इबादत का दूसरा रूप है ,
तुझको पाने की राह है..!
तेरे सजदे मै झुकता है सिर मेरा
तुझसे मांगती हूँ ...
मै इश्क मेरा .....................
रब्बा मेरे !!!!!
मुझे राह दिखा ....
रूहानी मुहब्बत करा
जहाँ पाने की ...
.ना ...
चाह हो ,
खुद को मिटाने की राह हो !
इश्क मै ही तुझे पानां है
तेरी इबादत मै सिर झुकाना है .........................
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