सपनों की उड़ान
भरने चला मेरा मन ....
परिदों के पर लिए
अनजान डगर
कुछ सहमा सा
कुछ झिझका सा
चाँद तारों को छूने
चला मेरा मन......
धूप की कटोरी से
उबटन लगा
हरसिंगार के फूलों का ...
श्रृंगार कर
ज़िन्दगी का लिबास पहन
ज़िन्दगी से मिलने चला
मेरा मन .....
ख्वाहिशों के परिंदे सा ...
मेरा मन ....!!!!
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