Wednesday, November 24, 2010

 शुक्रिया मेरे दोस्त ... तेरी दिखाई हुई राह पे चल परी हूँ ..... दिल की कलम से कुछ अलफ़ाज़ लिख तेरा  शुकराना अदा कर रही हूँ .......... उम्मीद करती हूँ तेरी उम्मीद पे खरी उतरू  !

1 comment:

  1. तेरे संग बिताये वो हर लम्हे का हिसाब देना चाहती हूँ मेरे मित्र ....गर ज़िंदगी यूँ ही साथ चलने की इज़ाज़त तो दे ...आमीन

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